सिंहासन पर दादी बैठ्या, सेवक चँवर ढुलावे ओ राज म्हे दादी थारा सेवक छां, सेवक छां माँ थारा ओ राज, दादी जी ने प्यारा ओ राज म्हे दादी थारा सेवक छां ।। टेर ।।
गंगा जल सूं चरण धुलाया, चंदन चोक पुराया ओ राज म्हे दादी थारा सेवक छां, अंत्तर केशर सूं महाकाया, गजरो लाल पिहराया ओ राज म्हे दादी… ।। १ ।।
सर्व सुहागण मेहन्दी मांडी, चूनड़ दास उढ़ाया ओ राज म्हे दादी थारा सेवक छां, सज धज के बनड़ी सी लागे, भगतां के मन भाया ओ राज म्हे दादी …
रोली तिलक लगायो माथे, मंगल गीत सुणाया ओ राज म्हे दादी थारा सेवक छां, सगला सेवक मिलकर नाचे, माँ ने आज रिझाया ओ राज म्हे दादी… ।। ३ ।
छप्पन भोग छत्तिसों मेवा, थारे भोग लगाया ओ राज म्हे दादी थारा सेवक छां, भगतां पर माँ महर करी जी, रूच रूच भोग लगाया ओ राज म्हे दादी… ।।४ ।।
चालो सगला करां आरती, दादी घर में आया ओ राज म्हे दादी थारा सेवक छां, बड़भागी म्हे‘“हर्ष” भवानी, म्हारो मान बढ़ाया ओ राज म्हे दादी… ।॥५
सिंहासन पर दादी बैठ्या, सेवक चँवर ढुलावे ओ राज म्हे दादी थारा सेवक छां,