तर्ज- हाल क्या है दिलों का
मुझको ना कोई चिंता, नहीं कोई डर, जिसका बाबा चलाए, उसे क्या फिकर, मेरी परवाह करता, ये आठों पहर, जिसका बाबा चलाये, उसे क्या फिकर, मुझको ना कोई चिंता, नहीं कोई डर।
जबसे बाबा के जादू का छाया असर, मेरी राहों के कांटे, हुए बेअसर, हारते हो को जीता दे, ये है जादूगर, जिसका बाबा चलाये, उसे क्या फिकर, मुझको ना कोई चिंता, नहीं कोई डर ।
मस्त रहता हूँ, बाबा की मस्ती में मैं, मेरे बाबा खिवैया, इनकी कश्ती भी मैं, और मांगे क्या ‘सोनी’, मिला इनका दर, जिसका बाबा चलाये, उसे क्या फिकर, मुझको ना कोई चिंता, नहीं कोई डर।
आई मुश्किल घडी हो, जरुरत पड़ी, पल में आ जाता है, लेके मोरछड़ी, साथ है ये तो कट जाएगा, हर सफर,जिसका बाबा चलाये, उसे क्या फिकर, मुझको ना कोई चिंता, नहीं कोई डर।
मुझको ना कोई चिंता, नहीं कोई डर,
मेरी परवाह करता, ये आठों पहर,
जिसका बाबा चलाए, उसे क्या फिकर, जिसका बाबा चलाये, उसे क्या फिकर, मुझको ना कोई चिंता, नहीं कोई डर।