तर्ज – रंग मत डाले रे
मेरे आंगनिये पधारो, मेरे श्याम धणी सरकार, मेरे आंगनिये, ग्यारस की मैंने रात जगाई, दिया कीर्तन ज्योत जगाई, लीले के असवार, मेरे आंगनिये, मेरे आंगनिये पधारों, मेरे श्याम धणी सरकार, मेरे आंगनिये ।
ढोलक झांझ मजीरा बाजे, सेठ सांवरा देख यहाँ, भक्ता रा तेरी बाट निहारे, छुप कर बैठ्या श्याम कहाँ, भक्ता री टोली मिल गावे, सेठ सांवरा तुझे बुलावे, गूंजे जय जयकार, मेरे आंगनिये, मेरे आंगनिये पधारों,
मेरे आंगनिये पधारों, मेरे श्याम धणी सरकार, मेरे आंगनिये।
अपने भगत की टेर सुनो जी, श्याम धणी जल्दी आओ, खीर चूरमे का भोग बनाया, श्याम धणी आकर खाओ, संग में धरियो खीर राबड़ी, रोट बाजरा और खिचड़ी, करे सभी मनुहार, मेरे आंगनिये, मेरे आंगनिये पधारों, मेरे श्याम धणी सरकार, मेरे आंगनिये।
अपने भगत के संकट काटो, मोरछड़ी ले आओ जी, मिट जाए सारी पीड़ भगत की, ऐसो झाड़ो लाओ जी, विनती सुन भक्ता री बाबा, ‘लख्खा’ और ‘गिरी को बाबा, कर द्यो भाव से पार, मेरे आंगनिये, मेरे आंगनिये पधारों, मेरे श्याम धणी सरकार, मेरे आंगनिये।