कैसे चुकाएं दातिए, एहसान तेरे हम, इतना दिया तूने जो, होगा कभी ना कम, कैसे चुकाएँ दातिए, एहसान तेरे हम।
भक्ति में जिसने तेरी, जीवन बिताया रे, आसान नहीं थी मंजिल, रस्ता दिखाया रे, हम जैसे पापियों पे भी, तूने किये करम, कैसे चुकाएँ दातिए, एहसान तेरे हम।
उसका बिगाड़ सकती, क्या मौत बाल भी, रहमत से तेरी जिसके, बस में हो काल भी, फिर कैसे हारे कोई भी, माने तेरे नियम, कैसे चुकाएँ दातिए, एहसान तेरे हम ।
जिंदगी संवर गई मेरी, मैया के नाम से, खुशियां मिली हमें यहाँ, तेरे ही साथ से, रहमो करम तेरे सदा, पाते रहे यूँ ही, कैसे चुकाएँ दातिए, एहसान तेरे हम।
कैसे चुकाएं दातिए, एहसान तेरे हम, इतना दिया तूने जो, होगा कभी ना कम, कैसे चुकाएँ दातिए, एहसान तेरे हम।