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राम भजन लिरिक्स

Janani me na jiu bin ram,जननी मैं ना जीऊँ बिन राम,ram bhajan

जननी मैं ना जीऊँ बिन राम,

जननी मैं ना जीऊँ बिन राम,
राम लखन सिया वन को सिधाये,
पिता गये सुर धाम,
जननी मैं ना जीऊँ बिन राम….



कुटिल कुबुद्धि कैकेय नंदिनि,
बसिये ना वाके ग्राम,
जननी मैं ना जीऊँ बिन राम…….



प्रात भये हम ही वन जैहैं,
अवध नहीं कछु काम,
जननी मैं ना जीऊँ बिन राम,



तुलसी भरत प्रेम की महिमा,
रटत निरंतर नाम,
जननी मैं ना जीऊँ बिन राम……..



राम लखन सिया वन को सिधाए,
राउ गये सुर धाम,
जननी मैं ना जीऊँ बिन राम।



कुटिल कुबुद्धि कैकेय नंदिनि,
बसिये ना वाके ग्राम,
जननी मैं ना जीऊँ बिन राम……….



प्रात भये हम ही वन जैहैं,
अवध नहीं कछु काम
जननी मैं ना जीऊँ बिन राम…..



तुलसी भरत प्रेम की महिमा,
रटत निरंतर नाम,
जननी मैं ना जीऊँ बिन राम…

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