तर्ज- सौलह बरस की।
श्याम मैंने जीवन किया तेरे नाम।श्याम मैंने जीवन किया तेरे नाम
मैं हो गई दीवानी, अपने हाथों में मेरा हाथ थाम, श्याम मैंने जीवन किया तेरे नाम, ओ श्याम, श्याम मैने जीवन किया तेरे नाम, जिसने हमें हंसाया जिसने रुला दिया, जिनके कारण हो गई हूँ बदनाम, श्याम मैने जीवन किया तेरे नाम।
ऐ वृक्ष ऐ लता, चुप क्यों है तू बता, घनश्याम मेरा मुझसे, क्यों हो गया जुदा,
तेरी डाल पर वो हरदम, मुरलिया बजाता था, मुरलिया की तान पर वो, हमको नचाता था, तू ही बता दे भवरे, कहाँ खो गए मोरे श्याम, पि रही हूँ गम के भर भर के जाम, श्याम मैने जीवन किया तेरे नाम।
यशोदा का लाला रोज, मेरे घर आता था, सखाओं के संग मिलकर, वो माखन चुराता था, जाती थी पनिया भरने, जब मैं जमना घाट पर, कंकरिया मार गगरी, मोरी फोड़ जाता था, बड़ा ही सताता था वो, बिच राह रोक कर, अखियां दिखाए मोरी, बइयां मरोड़ कर, करुणा के सागर तुम ही, कुछ तो बताओ उनका धाम, मैं बहुत ही हो रही हूँ परेशान, श्याम मैने जीवन किया तेरे नाम।
किसको सुनाऊँ अपने, दर्दे दिल की दास्ताँ, कोई तो बताए प्यारे, मोहन का रास्ता, कैसा ये भगवन राधा, का इम्तेहान है, दो दर्शन आके दिल का, यही अरमान है, मत पीछे रोना प्रिये, कसम मुझको दे गया, लूटी सारी खुशियां मेरी, गम मुझको दे गया, कथा श्याम राधा की, ‘कामेश’ करता है बखान, ढूंढता है इनके चरणों के निशान, श्याम मैने जीवन किया तेरे नाम।