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Meri maiya ke aane se huwa jagmag chaman Sara,मेरी मैया के आने से, हुआ जगमग चमन सारा,durga bhajan

मेरी मैया के आने से, हुआ जगमग चमन सारा

मेरी मैया के आने से, हुआ जगमग चमन सारा, कहो कैसे करूँ वर्णन, जो उनका रूप था प्यारा।



मुकुट सिर पे शुशोभित था, सजी माथे पे थी बिंदिया, बरसता प्यार नजरों से, लुटाती भक्त पे सारा, कहो कैसे करूँ वर्णन, जो उनका रूप था प्यारा ।।



झूलते कान में कुंडल, नाक में सर सुहाती थी, मधुर मुस्कान अधरों पे, गले में हार था प्यारा, कहो कैसे करूँ वर्णन, जो उनका रूप था प्यारा ।।

मेरी मईया के तन पे है, सुहाती लाल रंग साड़ी, लगाती भोग हलवे का, बरसती प्रेम रस धारा, कहो कैसे करूँ वर्णन, जो उनका रूप था प्यारा ।।



सवारी सिंह की करती, कष्ट भक्तों के है हरती, जहाँ में जो भी होता है, इन्ही का खेल है सारा, कहो कैसे करूँ वर्णन, जो उनका रूप था प्यारा ।।



मेरी मैया के आने से, हुआ जगमग चमन सारा, कहो कैसे करूँ वर्णन, जो उनका रूप था प्यारा ।।

खनाखन बज रहे कंगना, रचे थे हाथ मेहन्दी से, अभय करती उठाकर हाथ, हर लेती वो दुःख सारा, कहो कैसे करूँ वर्णन, जो उनका रूप था प्यारा ।।

मेरी मैया के आने से, हुआ जगमग चमन सारा, कहो कैसे करूँ वर्णन, जो उनका रूप था प्यारा।

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