आन वसो नंदलाल, मेरे सूने मंदिर में।
छाया जिस में, घोर अँधेरा
तुम आओ तो, होवे उजियारा
तुम बिन, है सुनसान, मेरे सुने मंदिर में,,,
आन वसो नंदलाल मेरे सूने मंदिर में।
घण्टे और, घड़ियाल नहीं है
सामग्री का, थाल नहीं है
मोह माया, का है जाल, मेरे सुने मंदिर में,,,
आन वसो नंदलाल,मेरे सूने मंदिर में।
मेरा मन, दर्वेश नहीं है
बगुले जैसा, भेस नहीं है
प्रेम का है, यह हाल, मेरे सुने मंदिर में,,,
आन वसो नंदलाल,मेरे सूने मंदिर में।
कान्हा मेरे, मंदिर आना
मेरे हाथों, भोग लगाना
आना, हो के दयाल, मेरे सुने मंदिर में,,,
आन वसो नंदलाल मेरे सूने मंदिर में।