तर्ज – सौ साल पहले
हमको कन्हैया लगे क्यों भुलाने, हम भी तो मोहन तेरे दीवाने।
तुम पर ही हमने श्याम, सब कुछ कर दिया कुर्बान, हर पल देखूं तुमको, यही मेरे दिल का है अरमान, आओ कन्हैया, जाने अनजाने, जाने अनजाने, हम भी तो मोहन तेरे दीवाने।
हे जादूगर घनश्याम, हमें मदहोश कर देना, इस दिल की चादर पे, नाम अपना ही लिख देना, अब नहीं करना, श्याम बहाने, श्याम बहाने,
दीनों को सताने में, तुम्हे क्या खुशियां मिलती है, तब और सताओ श्याम, ये आदत अच्छी लगती है, अदाएँ जो देखी ‘ओम’, लगे मुस्कुराने, लगे मुस्कुराने, हम भी तो मोहन तेरे दीवाने।
हमको कन्हैया लगे क्यों भुलाने, हम भी तो मोहन तेरे दीवाने।