तर्ज – जिसका मुझे था इंतजार
जिसका मुझे था इंतजार, जिसके लिए दिल था बेकरार, वो घड़ी आ गई आ गई आज, मैया के दर पे मुझे जाना है, आज मैया के दर्शन मुझे पाना है ।।
बरषों से मुझको आस लगी थी, तेरे दरश की प्यास जगी थी, आ ना पाया माता मैं तेरे दरबार में, भूला हुआ था मैं पापी संसार में, वो घड़ी आ गई आ गई आज, बादल दुखों के ये छट जाना है, आज मैया के दर्शन मुझे पाना है ।।
तेरे दरश की प्यास जगी थी, आ ना पाया माता मैं तेरे दरबार में, भूला हुआ था मैं पापी संसार में, वो घड़ी आ गई आ गई आज, बादल दुखों के ये छट जाना है, आज मैया के दर्शन मुझे पाना है ।।
सारे जमाने ने मुझको सताया, दुख में न कोई मेरे काम आया, फिरता हूँ दुनिया में मैं मारा मारा, अब तो है केवल तुम्हारा सहारा, वो घड़ी आ गई आ गई जब, इस दिल ने तूझको ही पहचाना है, आज मैया के दर्शन मुझे पाना है ।।
माँ मेरी इच्छा पूरण करदो, खुशियों से मेरी भी झोली भरदो, तुम अपना जलवा मुझे भी दिखाओ माँ, चरणों का सेवक मुझे भी बनाओ माँ, वो घड़ी आ गई आ गई, भव सिंधु से मुझको तर जाना है, आज मैया के दर्शन मुझे पाना है ।।
जिसका मुझे था इंतजार, जिसके लिए दिल था बेकरार, वो घड़ी आ गई आ गई आज, मैया के दर पे मुझे जाना है, आज मैया के दर्शन मुझे पाना है ।।
जिसका मुझे था इंतजार, जिसके लिए दिल था बेकरार, वो घड़ी आ गई आ गई आज, मैया के दर पे मुझे जाना है, आज मैया के दर्शन मुझे पाना है ।।