तर्ज – थोड़ा सा प्यार हुआ है
राधे बिन श्याम तुम आधे, राधे भी आधी, संग में है दोनों, संग में है दोनों, जैसे हो दीया और बाती, राधें बिन श्याम तुम आधे, राधे भी आधी।
जिसको तुमने है थामा, मिला उसको किनारा, बिना तेरे ओ मोहन, ना कोई है हमारा, अपने चरणों में तुम, अपने चरणों में तुम, दे दो अब जगह जरा सी, राधें बिन श्याम तुम आधे, राधे भी आधी।
तुमको जिसने पुकारा, बने उसका सहारा, दया के तुम हो सागर, हरो सब दुःख हमारा, हमपे भी तुम रखना, हमपे भी तुम रखना, दया की नज़र जरा सी, राधें बिन श्याम तुम आधे, राधे भी आधी।
सुनो विनती हमारी, की जब साँसे हो भारी, जुबां पे नाम तेरा, आँखों में छवि तुम्हारी, सुनो ‘मुस्कान’ की अब, सुनो ‘मुस्कान’ की अब, यही हसरत जरा सी,राधें बिन श्याम तुम आधे, राधे भी आधी।
राधे बिन श्याम तुम आधे, राधे भी आधी, संग में है दोनों, संग में है दोनों, जैसे हो दीया और बाती, राधें बिन श्याम तुम आधे, राधे भी आधी।