तर्ज- गंगा तेरा पानी अमृत
कान्हा तेरा जन्मदिवस, हम सब मिल के मनायें, ऐसी कृपा करदो गिरधारी, तेरे ही गुण गायें, कान्हा तेरा जनमदिवस ।।
कारागार मे जनम लिए जब, ताले सभी खुलाये, मुक्त हुए वसुदेव के बंधन, प्रहरी सभी सुलाये, यमुना पार किये रातो में, नन्द के घर पहुंचाय, कान्हा तेरा जनमदिवस, हम सब मिल के मनायें।
भादव कृष्ण अष्टमी शुभ, नक्षत्र रोहिणी आई, अपने लिए बनाए तूने, एक नही दो माई, साथ बनाए शेषनाग को, बलदाऊ सा भाई, कान्हा तेरा जनमदिवस, हम सब मिल के मनायें ।।
मै भी चाहूं बालसखा बन, तुझको खूब रिझाऊँ, कदंब गाछ मे डाल के झूला, निशदिन तुझे झुलाऊँ, जो तू चाहे मन की मेरी, आस पूरी हो जाय, कान्हा तेरा जनमदिवस, हम सब मिल के मनायें ।।
कान्हा तेरा जन्मदिवस, हम सब मिल के मनायें, ऐसी कृपा करदो गिरधारी, तेरे ही गुण गायें, कान्हा तेरा जनमदिवस ।।