तर्ज – पहली पहली बार बलिए।
कान्हा ने बजाई बंशी, होठों से लगाई बंशी, फिर जाने क्या हो गया, सारा जहां खो गया, सारा जहां खो गया।।
हो गई दीवानी सारी, ब्रजवासी गोपियां, यमुना के तीर धाई, प्रेमभरी गोपियां, सबने निहारी बंशी, बांके बिहारी बंशी, होठों से जो छू लिया हाय, सारा जहां खो गया, सारा जहां खो गया।।
कान्हा ने बजाई बंशी, होठों से लगाई बंशी, फिर जाने क्या हो गया, सारा जहां खो गया, सारा जहां खो गया।।
बांसुरी तो सौत हुई, जग से छुड़ाई रे, श्याम सलोने तेरे, हाथों बिकाई रे, हाय ये निगोड़ी बंशी, कान्हा तुम्हारी बंशी, जादू किया रे क्या किया हाय, सारा जहां खो गया, सारा जहां खो गया।।
कान्हा ने बजाई बंशी, होठों से लगाई बंशी, फिर जाने क्या हो गया, सारा जहां खो गया, सारा जहां खो गया।।
कैसे बताएं तुझ बिन, जिया नही जाए रे, कान्हा ही कान्हा दीखे, आंखो के आगे रे, हमे ना सुहाए बंशी, श्याम मन भाए बंशी, हमपे जुलुम ये क्या किया हाय, सारा जहां खो गया, सारा जहां खो गया ।।
कान्हा ने बजाईं बंशी, होठों से लगाई बंशी, फिर जाने क्या हो गया, सारा जहां खो गया, सारा जहां खो गया ।।