तर्ज – खाटूवाले श्यामधणी मने चस्का
मैं भगत तेरा हरियाणे का,
चिट्ठी लिख के भेज दी बाबा, ब्योत नही से आने का, मेरे घर आजा सांवरे, मै भगत तेरा हरियाणे का।।
कोई खाटू पैदल जावे, और दर्शन तेरे पावे से, कोई छप्पन भोग लगाव स, कोई सवामनी तेरी लाव स, हरियाणे मैं आजा हो बाबा, तने खिचड़े का भोग लगाने का, मेरे घर आजा सांवरे, मै भगत तेरा हरियाणे का।।
कोई कोठी बंगले मांगे, कोई तेरे पे गाड़ी ले रहया स, इस तेरे भगत का बाबाजी, बस तेरे चरणों में डेरा से, बस मनें इतना बेरा से, मेरी किस्मत तू ही जगाने का, मेरे घर आजा सांवरे, मै भगत तेरा हरियाणे का ।।
मैं करू शुक्रिया तेरा बाबा, जो तने दर्श दिखाया स, ‘सोनू वर्मा’ भुना त, यो जिसने भजन बनाया स, नैया पार लगादे हो बाबा, गावे सनी टोहाने का, मेरे घर आजा सांवरे, मै भगत तेरा हरियाणे का।।
मैं भगत तेरा हरियाणे का,
चिट्ठी लिख के भेज दी बाबा, ब्योत नही से आने का, मेरे घर आजा सांवरे, मै भगत तेरा हरियाणे का।।