तर्ज,ना स्वर है न सरगम
तू बनता किनारा श्याम तेरी फितरत है घनश्याम। तू बनता किनारा श्याम तेरी फितरत है घनश्याम
तेरे पसरे नैनो में हम बेहके हुए बदनाम
तू बनता किनारा श्याम ………..
होता ना अगर मेरा प्रभु चलता न कोई जोर
मुझ पे है तेरा उपकार जीवन की बंधी मेरी डोर
तू मुझमे मैं तुझमे इक दूजे को है सलाम
तू बनता किनारा श्याम।
रोज करता तेरा दीदार मैं देखू बारम बार,
तेरी होती मज़बूरी श्याम चलती न सरकार
बाबा झूठी तारीखों पे तुम आते मिलने श्याम
तू बनता किनारा श्याम।
क्यों मुझसे मुख फेरा मैं मुझ्रिम हूँ तेरा
चाहे जो भी देदो सजा छोडू गा न डेरा
श्याम सजन है तुझमे स्वर दीपक जप लेना
तू बनता किनारा श्याम।
तू बनता किनारा श्याम तेरी फितरत है घनश्याम
तेरे पसरे नैनो में हम बेहके हुए बदनाम
तू बनता किनारा श्याम ………..