नैया पार लगादे दाता, चरणां मं पड़ी । अब तो हो घोड़े असवार, घुमादे मोर की छड़ी।
दीन दुखी के दाता तुम हो, दीन दयालु नाम,
कद मैं करूँ अर्चना थारी, पूरा करदे काम,
अब तो सुणल्यो म्हारा श्याम,नैया अटक्योड़ी पड़ी । अब तो हो घोड़े असवार, घुमादे मोर की छड़ी।
एक बाण की शक्ति सेती बिन्ध्या पीपळ पान,
रणभूमि में आप पधारे, दियो शीश को दान,
माता जोवै है बाटड़ली थारी,खड़ी रे खड़ी । अब तो हो घोड़े असवार, घुमादे मोर की छड़ी।
श्यामकुण्ड मं प्रगट भया खाटू रह्या बिराज।
ड्योढ़ी पर बजरंगी बैठ्यो सारै सबका काज
सोहवै पचरंगी ध्वजा,शिखर पर खड़ी । अब तो हो घोड़े असवार, घुमादे मोर की छड़ी।
सभी जणा मिलकरकै आओ, बाबाजी कै धाम सच्चे मन सें ध्यान लगाओ, कहता ‘पालीराम’, या तो बाजीगर मण्डली थारै, हाजिर खड़ी । अब तो हो घोड़े असवार, घुमादे मोर की छड़ी।