तर्ज – नहीं चाहिए दिल दुखाना।
मेरा सांवरा सबको देता ख़ुशी से, दातार ऐसा है ये कहे ना किसी से, मेरा साँवरा देता सबको ख़ुशी से ।।
किसको क्या देता है मेरा श्याम जानता, भक्तो को पल में अपने पहचानता, खुश होता श्याम मेरा सबकी हँसी से, मेरा साँवरा देता सबको ख़ुशी से ।।
ख़ुशी ख़ुशी कृष्णा को शीश दिया है, बदले में इसने उनसे कुछ ना लिया है, दानी कहलाया मेरा बाबा तभी से, मेरा साँवरा देता सबको ख़ुशी से ।।
खाटू में ऐसा धाम बनाया, दर से किसी को ना खाली लौटाया, इसीलिए ‘श्याम’ को भरोसा इसी से, मेरा साँवरा देता सबको ख़ुशी से ।।
मेरा सांवरा सबको देता ख़ुशी से, दातार ऐसा है ये कहे ना किसी से, मेरा साँवरा देता सबको ख़ुशी से ।।