तर्ज – आने वाला पल
जबसे सांवरे तुमको पाया है, गम का अंधेरा दूर हुआ है, सुख का सवेरा आया है, जबसे साँवरे तुमको पाया है।
मीरा सा प्रेम ना कर्मा सा भाव है, फिर क्यूँ तेरा प्रभु मुझसे लगाव है, सीने से लगा के प्यार लूटा के, अपना मुझे बनाया है, जबसे साँवरे तुमको पाया है।
बदली है श्याम ने मेरी लकीर वो, राजा बना दिया दर के फकीर को, जग है छलावा श्याम के अलावा, सबसे ही धोखा खाया है, जबसे साँवरे तुमको पाया है ।
दुनिया की हर खुशी झोली में डाल दी, ‘माधव’ ने मुझपे की किरपा कमाल की, दुख की घड़ी में गम की झड़ी में,हँसना मुझे सिखाया है, जबसे साँवरे तुमको पाया है।
जबसे सांवरे तुमको पाया है, गम का अंधेरा दूर हुआ है, सुख का सवेरा आया है, जबसे साँवरे तुमको पाया है।