तर्ज, तूं लीले चढ़कर आजा
होली में रंग लगवा जा, के सोचे कान्हा बोल बता। तू मुरली मधुर बजाता,के सोचे कान्हा बोल बता।
यह ब्रिज की बाला तुमको सब अपने पास बुलाती। तुम रंग से डरते कान्हा सब मिलकर हंसी उड़ाती। तुम क्या चाहते हो कान्हा तेरे जो भी मन में खोल बता।
तेरी मोहनी सूरत प्यारी तुम सबके दिल का प्यारा। तेरा चंदा जैसा मुखड़ा इस ब्रिज का तू उजियारा। कहे ब्रज की कुंज गली में तू हमारे साथ डोले बता।
अब जल्दी आओ खेलो मत देर करो सांवरिया। बेचैन हो रही अन्नू शर्म आए सारी गुजरिया। छंद इंदरपाल बनावे तू क्यों तड़पावे बोल बता।