दर्द किसको दिखाऊ कन्हैया कोई हमदर्द तुमसा नहीं है।
दुनिया वाले नमक है छिडकते कोई मरहम लगाता नही है।दर्द किसको दिखाऊ कन्हैया कोई हमदर्द तुमसा नहीं है।
किसको बैरी कहू किसको अपना झूठे वादे है सारे ये सपना अब तो कहने में आती शरम है। देख खुशिया मेरी जिंदगी की रास अपनों को आती नही है।
दर्द किसको दिखाऊ कन्हैया कोई हमदर्द तुमसा नहीं है।
ठोकरों पे है ठोकर खाया जब भी दिल दुसरो से लगाया। हर कदम पे है सबने गिराया सबने स्वार्थ का रिश्ता निभाया।
तुझसे नैना लडाना कन्हैया दनिया वालो को भाता नही है।देख खुशिया मेरी जिंदगी की रास अपनों को आती नही है।