तर्ज- आवाज दो हमको
मेरे श्याम पे मुझको विश्वास है,
रिश्ता मेरा इनसे कुछ ख़ास है, झूठे जहाँ में अब हमें, बस इन्ही से आस है, मेरे श्याम पे मुझकों विश्वास है ।।
मेरा हाथ रखता है ये हाथ में, मेरी लाज रखता है हर बात में, चलता है ये साथ में, दिन में भी और रात में, मेरे श्याम पे मुझकों विश्वास है ।।
प्रभु प्रेम का मुझपे चढ़ा रंग है, मुझे देख कर दुनिया अब दंग है, अब ना कोई चिंता फिकर, हर घडी ये संग है, मेरे श्याम पे मुझकों विश्वास है ।।
सोचा नहीं था जो वो सब मिला, जीवन के उपवन में हर फूल खिला, किस्मत से भी अब तो ‘मोहित’, ना कोई शिकवा गिला, मेरे श्याम पे मुझकों विश्वास है ।।
मेरे श्याम पे मुझको विश्वास है,
रिश्ता मेरा इनसे कुछ ख़ास है, झूठे जहाँ में अब हमें, बस इन्ही से आस है, मेरे श्याम पे मुझकों विश्वास है ।।