बैठी कब से लगाए मैं आश री। हाय बाजी ना मनहर की बांसुरी। लिए नैनों में दर्शन की प्यास री।हाय बाजी ना मनहर की बांसुरी।
आई कुंजन में छुप चोरी चोरी। गुजरिया मे भोरी। सर पर धर मटकिया में कोरी,गुजरिया मे भोरी। सर पर धर मटकिया में कोरी,जोऊं बाट तोरी।लिए नैनों में दर्शन की प्यास री।हाय बाजी ना मनहर की बांसुरी।
बैठी कब से लगाए मैं आश री। हाय बाजी ना मनहर की बांसुरी। लिए नैनों में दर्शन की प्यास री।हाय बाजी ना मनहर की बांसुरी।
ऐसा तट यमुना का प्यारा प्यारा। बहे रस की धारा, बहे रस की धारा।नाच दिखा चंद्र तारा तारा।खिला रूप प्यारा। काहे अबतक रचाए ना रास री।हाय बाजी ना मनहर की बांसुरी।
बैठी कब से लगाए मैं आश री। हाय बाजी ना मनहर की बांसुरी। लिए नैनों में दर्शन की प्यास री।हाय बाजी ना मनहर की बांसुरी।