तर्ज- श्यामा आन बसों वृंदावन में
मुझ पर भी दया की कर दो नज़र, ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर, कुछ दीनों के दुःख की लेलो खबर, ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।।
आरत जन तुमको पुकार रहे, आने की बाट निहार रहे, सिर छिपा के यहाँ बैठे नटवर, ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर, मुझ पर भी दया कि कर दो नज़र, ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।।
ब्रजबाला व्याकुल रहती है, ग्वालों की टोली कहती है, कब आओगे नटवर बनकर, ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर, मुझ पर भी दया कि कर दो नज़र, ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।।
ब्रजबाला व्याकुल रहती है, ग्वालों की टोली कहती है, कब आओगे नटवर बनकर, ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर, मुझ पर भी दया कि कर दो नज़र, ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।।
जिस बंसी ने प्रेम प्रकाश किया, रसदायक रास बिलास किया, बज जाए वही बंसी घर घर, ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर, मुझ पर भी दया कि कर दो नज़र, ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।।
बिसरा दो इन्हें या सम्हालो इन्हें, ठुकरा दो चाहे अपना लो इन्हें, दृग ‘बिन्दु’ है आपके पेशे नज़र, ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर, मुझ पर भी दया कि कर दो नज़र, ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।।
मुझ पर भी दया की कर दो नज़र, ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर, कुछ दीनों के दुःख की ले लो खबर, ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।।