भटकत भटकत हार गया,
बिगड़ गए मेरे हालात,
ए श्याम तेरे दर पे ही,
बिगड़ी बनी मेरी बात,
इस दुनिया में श्याम तू मेरा मुकाम है,
ए श्याम तेरे नाम से ही मेरी पहचान,
जब तक ना था तू मेरा मेरा न कोई था,
ना थी रहे ना थी मंजिल हमसफर न मेरा,
तूने मुझे उठाया गले से लगा लिया,
उस घड़ी, उस डगर, उस सफर, को पहचान,
ए श्याम तेरे, नाम से ही मेरी पहचान,
जो ना मिला था जग से वो तूने दे दिया,
जो मिला मुझको जग से वो तूने ले लिया,
इतनी किरपा की तूने मेरा नाम कर दिया,
उस किरपा, उस मेहर, उस दया को प्रणाम,
ए श्याम तेरे, नाम से ही मेरी पहचान,
जब तक जीवूँ मैं बाबा भूलूँ ना ये किरपा,
चाहे जीवूँ दो पल ही हर पल रहूँ तेरा,
बरसे किरपा सदा सबपे ये विनती मेरी,
तेरे दर झुक जाए बाबा सारा जहाँ,
ए श्याम तेरे, नाम से ही मेरी पहचान,
भटकत भटकत हार गया,
बिगड़ गए मेरे हालात,
ए श्याम तेरे दर पे ही,
बिगड़ी बनी मेरी बात,