तर्ज, राधिका गोरी से
श्याम नखरारो है, बड़ो मतवारो है,
छैल छबीलों साँवरो,
नैना सूं तीर चलावे रे,
अरे रे यो तीर चलावे रे,
श्याम नखरारो है, बड़ो मतवारो है,
छैल छबीलों साँवरो।
साँवल सांवल सूरत,
मुस्कान बड़ी ही प्यारी,
हिवड़े में बस जावै
मन बसियो श्याम बिहारी,
बनड़ा सो लाग रह्यो, लाग रह्यो,
सजिलों साँवरो,
श्याम नखरारो है, बड़ो मतवारो है,
छैल छबीलों साँवरो।
इतनो सोहनो लागे,
के चंदा भी शरमावे,
लगा दो काला टीका,
कही नज़र नहीं लग जावे,
आज तुम्हे बलिहारी, बलिहारी,
है रसीलो साँवरो,
श्याम नखरारो है, बड़ो मतवारो है,
छैल छबीलों साँवरो,
छवि मोहनी मोहे,
जो देखे होवे पागल,
अंजलि भी चैन गवाई,
मन हो जावे रे घायल,
चौखानी चित चोर है, चित चोर है,
यो हटीलो साँवरो,
श्याम नखरारो है, बड़ो मतवारो है,
छैल छबीलों साँवरो।
श्याम नखरालो है,
बड़ो मतवारो है,
छैल छबीलो साँवरो,
नैना सु तीर चलावे रे,
अरे रे यो तीर चलावे रे,
श्याम नखरारो है, बड़ो मतवारो है,
छैल छबीलों साँवरो।