तर्ज – वो जब याद आए
मेरी श्याम सोइ किस्मत जगा दो, मैं चल ना सकूंगा मुश्किल डगर पे, उंगली पकड़ कर चलना सीखा दो, मेरी श्याम सोई किस्मत जगा दो।
लड़खड़ाए कदम गिर पडूं राह में, लोग हँसते प्रभू मेरे सब हाल पे, देखेगी दुनिया प्रीत तुम्हारी, बुझता हुआ सितारा रोशन करा दो, मेरी श्याम सोई किस्मत जगा दो।
गलतियां की बहुत मैं गुनहगार हूँ, अपने कर्मों पे श्याम अब शर्मशार हूँ, अवगुण बिसारो मेरे कन्हैया, पिता की तरह मुझको जरा थपथपा दो, मेरी श्याम सोई किस्मत जगा दो।
मैं पुकारूँ तुम्हे तुम छिपे हो कहाँ, मिलके तुमसे करूँ दिल की कुछ दास्ताँ, ‘अपर्णा’ तो मांगे तुमको तुम्ही से, ‘तिशा’ को बाबा दर्शन करा दो, मेरी श्याम सोई किस्मत जगा दो।
मेरी श्याम सोइ किस्मत जगा दो, मैं चल ना सकूंगा मुश्किल डगर पे, उंगली पकड़ कर चलना सीखा दो, मेरी श्याम सोई किस्मत जगा दो।