चली मैं द्वारे चली, मेरे घनश्याम के।
मेरे घनश्याम के जी, वृन्दावन धाम के।
चली मैं द्वारे चली,
सुना मेरे श्याम जी ने, कितनों को तारा है,
मीरा बाई का भी मैंने,सुना अफ़साना है।
जख़्म सारे दिल के मैं, उनको दिखाऊँगी,
हाल मेरे दिल का मैं, उनको सुनाऊँगी,,,
चली मैं द्वारे चली,
दुनियाँ की ठोकरों ने, तुझ से मिला दिया,
मेरे श्याम सुन्दर तेरा,सोहना मुख़ भा गया।
तेरे बिना अब नहीं, मेरा सहारा है,
तूने ही तो अपने सारे, भक्तों को तारा है,,,
चली मैं द्वारे चली,
तेरा दास अब तेरे, दर पे आ गया,
सारा जग छोड़ मैं तो,वृन्दावन आ गया।
तेरा दर छोड़ मुझे, कहीं नहीं जाना है,
तेरे वृन्दावन में आ, मुझे वस जाना है,,,
चली मैं द्वारे चली,
चली मैं द्वारे चली, मेरे घनश्याम के।
मेरे घनश्याम के जी, वृन्दावन धाम के।
चली मैं द्वारे चली,