मेरा भी खाता खोल दे, मां अपने दरबार में।
जब भी मांगू, जो भी मांगू ,, मिलता रहे उधार में,
मेरा भी खाता,जय हो खोल दे, मां अपने दरबार में।
जो कुछ भी, है शर्तें तेरी,कागज़ पर लिखवा ले मां।
बेशक मुझको, गिरवी रख ले,मुझसे साईंन करा ले मां।
तां कि कोई, फर्क ना आए , मां बेटे के प्यार में,
मेरा भी खाता,,, जय हो खोल दे
तूँ है साहूकार मेरी मैं, और कहीं क्यों जाऊं मां।
तुझसे ही, लेकर के पूंजी,अपना काम चलाऊं मां।
तेरे सिवा अब, कौन है मेरा आखिर इस संसार में,
मेरा भी खाता, जय हो खोल दे,
ना अनुभव है, काम नया है,डर नुकसान का भारी है।
कुछ तो गुर, सिखला दो मुझको,चाहिए मदद तुम्हारी है।
दास सफ़ल, हो जाए तेरा अपने कारोबार में,मेरा भी खाता, जय हो खोल दे,
मेरा भी खाता खोल दे, मां अपने दरबार में।
जब भी मांगू, जो भी मांगू ,, मिलता रहे उधार में,
मेरा भी खाता,जय हो खोल दे, मां अपने दरबार में।