राम दूत बलवंता भजो मन हनुमंता
दर्शन दो भगवनता भजो मन हनुमंता।।
राम दूत बलवंता भजो मन हनुमंता
दर्शन दो भगवनता भजो मन हनुमंता।।
राम दूत बलवंता भजो मन हनुमंता
दर्शन दो भगवनता भजो मन हनुमंता।।
तुम्हारी महिमा सबसे न्यारी
तुमको पूजे दुनिया सारी
भाव को डोर भगवान वारे
सगरे कस्ट मिटावां वारे।।
सब जग नाम जपंटा भजो मन हनुमंता
महिमा तोरी अनंता भजो मन हनुमंत।
पवन पुत्र अंजनी के लाला
वज्रा देह और नयन विशला
मन वचन क्रम जो तुमको ध्यवे
वो ही मॅन वांच्छित फल पावे।।
ज्ञान वाँ गुणवांता भजो मन हनुमंता
उपजात हर्ष अनंता भजो मन हनुमंता।।
तंन सिंदूर हाथ में सोता
अंग पेर सोहे लाल लंगोटा
तुम्हारी बात विभीषण मानी
लंकपती हो सब जाग जानी।।
कल्पा गये तुरंता भजो मन हनुमंता
राम ही राम जापंता भजो मन हनुमंता।।
तीन लोक में नाम तुम्हारा
सालसर में धाम तुम्हारा
जो कोई ध्यान तुम्हारा धर्ता
भव सागर से पार उतरता।।
आवागमन मिटाता भजो मन हनुमंता
जगमग ज्योत जगंता भजो मन हनुमंता।।
राम दूत बलवंता भजो मन हनुमंता
दर्शन दो भगवनता भजो मन हनुमंता।।