पंछी जाग सवेरा रे सतगुरु आए हैं द्वार। सेवा बंदगी कर ले संतो री मानुष जन्म सुधार।पंछी जाग सवेरा रे सतगुरु आए हैं द्वार।
सतगुरु आए दर्शन पाए दिल की तपत बुझाये। दर्शन कर तने करना कीर्तन सब मिल मंगल गाय। पंछी जाग सवेरा रे सतगुरु आए हैं द्वार।
सेवा जो तुम कर ले प्राणी सुख से हरि गुण गाए। आज जो बीता कल नहीं आएगा अब तो हरि गुण गाए। पंछी जाग सवेरा रे सतगुरु आए हैं द्वार।
यह अवसर तेरा चला रे जाएगा कोटी करो रे उपाय। गया बखत थारे हाथ नहीं आवे सिर्फ धुन धुन पछताए। पंछी जाग सवेरा रे सतगुरु आए हैं द्वार।
84 रो बंधन काटे मुख से कथा रे सुनाएं। जा री कथा तो सुन दुर्लभ रे सोई श्याम ने पाय।पंछी जाग सवेरा रे सतगुरु आए हैं द्वार।