तर्ज – मिलती है जिंदगी में
दरबार तेरा सांवरे, छूटे कभी नहीं, आता रहूं ये सिलसिला, टूटे कभी नहीं, दरबार तेरा साँवरे ।।साँसे चले ये जब तलक, बसता मेरा जहान, टूटे कभी नहीं आता रहूं ये सिलसिला, टूटे कभी नहीं, दरबार तेरा साँवरे ।।
हर ग्यारस पर आते है, बाबा तुमसे ही मिलने, और मरते दम तक बाबा, आएंगे दर्शन करने, अब लीले चढ़ कर आजा, ‘दीपू’ भी तर जाए, है फँसी भंवर में नैया, मेरी पार हो जाए।
श्याम मोरछड़ी लहरादे, सारे संकट कट जाएँ है फँसी भंवर में नैया, मेरी पार हो जाए।
मेरे सांवरे पसंद मुझे, तेरी ये बंदगी, तेरे नाम के सहारे है, ‘कुंदन’ ये ज़िन्दगी, ये अपनी प्रेम गागरी, फूटे कभी नहीं, आता रहूं ये सिलसिला, टूटे कभी नहीं, दरबार तेरा साँवरे ।।
दरबार तेरा सांवरे, छूटे कभी नहीं, आता रहूं ये सिलसिला, टूटे कभी नहीं, दरबार तेरा साँवरे ।।
टूटे कभी नहीं आता रहूं ये सिलसिला, टूटे कभी नहीं, दरबार तेरा साँवरे ।।
इस झूठी दुनियादारी की, अब चाह ना मुझे, चाहे रूठ जाए जग कोई, परवाह ना मुझे, पर मुझसे मेरा सांवरा, रूठे कभी नहीं, आता रहूं ये सिलसिला, टूटे कभी नहीं, दरबार तेरा साँवरे।।