तर्ज- तेरी उंगली पकड़ के चला
जिसकी किरपा से जीवन चले, करता है जो मेरे फैसले, श्याम है मेरा श्याम, वो मेरा सांवरा।
मेरे घर से सुख अब जाएगा नहीं, मेरे घर में दुःख अब आएगा नहीं, कोई भी ग़म अब नहीं पास आता है, मेरा तो बस खुशियों से ही नाता है, दीप खुशियों के मेरे घर में है जले, जिसकी किरपा से जीवन चलें, करता है जो मेरे फैसले, श्याम है मेरा श्याम, वो मेरा सांवरा।
मुझको कोई चिंता न कोई है फिकर, श्याम बन गया है अब मेरा हमसफर, हर घडी श्याम अब मेरे साथ है, सर पे मेरे हर घडी इसका हाथ है, इनकी कर्म से ही मेरे दिन है ये बदले,
जिसकी किरपा से जीवन चलें, करता है जो मेरे फैसले, श्याम है मेरा श्याम, वो मेरा सांवर।
मेरे घर पे इनका ही पहरा रहता है, इनकी दया से ही परिवार चलता है, इनकी नज़र हर घडी रहती है मुझ पर, पल रहा है ‘शर्मा’ सिर्फ इनकी दया पर, सत्कर्मो के फल से मुझको ये मिले, जिसकी किरपा से जीवन चलें, करता है जो मेरे फैसले, श्याम है मेरा श्याम, वो मेरा सांवरा।