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श्याम भजन लिरिक्स

Shyam dhani ke darwar se na jata hai koi haar ke,श्याम धणी के दरबार से, ना जाता है कोई हार के,shyam bhajan

श्याम धणी के दरबार से, ना जाता है कोई हार के,



तर्ज पंख होते तो उड़ जाती रे

श्याम धणी के दरबार से, ना जाता है कोई हार के, मैं शरणागत तेरे द्वार पे।



स्वार्थ की ये दुनियादारी, सुख में निभाते है रिश्तेदारी, बुरे वक्त सबने मुंह फेरा, बुरे वक्त सबने मुंह फेरा, अब सहारा है बाबा तेरा, राह दिखा दे मुझे, ओ दुनिया के पालनहारे, श्याम धनी के दरबार से, ना जाता है कोई हार के, मैं शरणागत तेरे द्वार पे।

तेरा सहारा मिल जाएगा, मुरझाया फुल खिल जाएगा, तू जो चाहे दुनिया के मालिक, तू जो चाहे दुनिया के मालिक, मुझे किनारा मिल जाएगा, बाबा दयालु बड़ा, मुझे भवसागर से तार दे, श्याम धनी के दरबार से, ना जाता है कोई हार के, मैं शरणागत तेरे द्वार पे।

मन मंदिर में मूरत तुम्हारी, श्याम धनि लो सुध अब हमारी, रख लो अब चरणों में चाकर, रख लो अब चरणों में चाकर, अब विलम्ब ओ बाबा तू ना कर,
भक्त पुकारे खड़ा, बाबा खाटू के दरबार में, श्याम धनी के दरबार से, ना जाता है कोई हार के, मैं शरणागत तेरे द्वार पे।



हाथ जोड़े विनती करूँ मैं, ध्यान तुम्हारा मन में धरूं मैं, सारी उमरिया जपूँ नाम तेरा, सारी उमरिया जपूँ नाम तेरा, काटों लख चौरासी का फेरा,

भव से पार करो, इस मतलब के संसार से, श्याम धनी के दरबार से, ना जाता है कोई हार के, मैं शरणागत तेरे द्वार पे।

ऊँचो मंदिर मूरत है प्यारी, मनमोहनी है सूरत तुम्हारी, भूल गया मैं दुःख दर्द सारे, भूल गया मैं दुःख दर्द सारे, आ के खाटू वाले के द्वारे, बिगड़ी बना दे मेरी, आया दुनिया से मैं हार के, श्याम धनी के दरबार से, ना जाता है कोई हार के, मैं शरणागत तेरे द्वार पे।



श्याम धणी के दरबार से, ना जाता है कोई हार के, मैं शरणागत तेरे द्वार पे।

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