तर्ज – दुनिया ने दिल दुखाया
करुणामयी किशोरी,करुणा जरा दिखा दो,
भंवरो में फस गई,भंवरो में फस गई हूँ,
मुझे पार तो लगा दो,करुणा मयी किशोरी,
करुणा जरा दिखा दो।
दर दर की खा के ठोकर, बरसाने आ गई हूँ, दुनिया ने जो दिए गम, मैं दिखाने आ गई हूँ, जख्मों पे मेरी राधे, जख्मों पे मेरी राधे,मरहम जरा लगा दो, करुणा मयी किशोरी, करुणा जरा दिखा दो।
हमसे हुई खता क्या, वृषभान की दुलारी, तेरे दर पे आ गई हूँ, एक बावरी दीवानी, किस बात पे हो रूठी, किस बात पे हो रूठी, एक बार तो बता दो,करुणा मयी किशोरी, करुणा जरा दिखा दो।
मैंने सुना है श्यामा, तेरे दर पे कृपा बरसती, पाने को मुक्ति भी यहाँ, मुक्ति को है तरसती, एक बार मेरे सिर पे, एक बार मेरे सिर पे, किरपा का कर घुमा दो, करुणा मयी किशोरी, करुणा जरा दिखा दो।
दर्दे जुदाई का गम, मुश्किल हुआ है सहना, मुझको बसा लो ब्रज में, तुमसे यही है कहना, अपने ‘रविंद्र’ को अब, अपने ‘रविंद्र’ को अब, ऐसी भी ना सजा दो, करुणा मयी किशोरी, करुणा जरा दिखा दो।
करुणामयी किशोरी, करुणा जरा दिखा दो, भंवरो में फस गई हूँ, भंवरो में फस गई हूँ, मुझे पार तो लगा दो, करुणा मयी किशोरी, करुणा जरा दिखा दो।