बरसाने में अपना,
जीवन बितायेंगे,
मिश्री से मिठो हम,
राधा नाम को गायगे…
गहवर वन की कुंजे,
बरसाने की गलिया,
कर मोर कुटी दर्शन,
परिकर्मा लगायगे,
मिश्री से मिठो हम,
राधा नाम क़ो गायगे….
संतो की संगत को,
रसीको की वाणी क़ो,
जीवन का अपने हम,
यही आधार बनायगे,
मिश्री से मिठो हम,
राधा नाम को गायगे….
ये मन नहीं लगता,
इस झूठे ज़माने मे,
पूजासखी को श्यामा,
रख लो बरसाने मे,
ये चरनजीत भी अब,
सदा यही लीखते जायगे,
मिश्री से मिठो हम,
राधा नाम को गायगे…..
बरसाने में अपना,
जीवन बितायेंगे,
मिश्री से मिठो हम,
राधा नाम को गायगे…