सरस्वती माता शारदा ने सिमरु, गुणपत लागू पाय,शिव थारी जय बोलो, हारे शिव थारी जय बोलों, रे भाया जनम जनम रा, पाप धोयलो रे, ओ शिव थारी जय बोलों ॥
कमलनाथ रा मोटा रे मगरा,बीच में गंगा खलके ओ, गंगा रे किनारे वटे शिव रो वासो रे, ओ शिव थारी जय बोलों, रे भाया जनम जनम रा, पाप धोयलो रे, ओ शिव थारी जय बोलों ॥
आजु रे बाजु री गऊवा चरवा, आवे कमलनाथ रा मगरा में, शिव जी रे वारो नांदीयो, गऊआ ने धावे रे, ओ शिव थारी जय बोलों, रे भाया जनम जनम रा, पाप थोयलो रे, ओ शिव थारी जय बोलों ॥
ओछी बुद्धि रा ग्वाल बाल वटे, ओछी बात विचारी रे, शिव जी रे वारो नांदीयो रे, कराडो मारीयो रे, ओ शिव थारी जय बोलों, रे भाया जनम जनम रा, पाप धोयलो रे, ओ शिव थारी जय बोलों ॥
पुरब दिशा में पार्वती जी, पश्चिम दिशा में शिव जी रे, लंकाऊ दिशा में रावण बेठो, शोभा भारी रे, ओ शिव थारी जय बोलों, रे भाया जनम जनम रा, पाप धोयलो रे, ओ शिव थारी जय बोलों ।।
रावण टुक वटे हवन कुंड वटे, रावण पुजा करतो रे, एक फुल रे कारणे वटे, शिश चडायो रे, ओ शिव थारी जय बोलों, रे भाया जनम जनम रा, पाप धोयलो रे, ओ शिव थारी जय बोलों ।।
वासवारी रा तलाब माइने, रावण कमल बोया रे, कमल रे फुलडा सु रावण, पुजा करतो रे, ओ शिव थारी जय बोलों, रे भाया जनम जनम रा, पाप धोयलो रे, ओ शिव थारी जय बोलों ।।
राणा प्रताप री यादगार मे, बंधायो तलाव रे, हाथी रे खम्बा रे वटे, मोटो वडलो रे. ओ शिव थारी जय बोलों, रे भाया जनम जनम रा, पाप धोयलो रे, ओ शिव थारी जय बोलों ।।
काना में थारे कुंडल सोहे, गला में रुण्ड री माला रे, गोरा रे अंग पर नाग बिराजे, शोभा भारी रे, ओ शिव थारी जय बोलों, रे भाया जनम जनम रा, पाप धोयलो रे, ओ शिव थारी जय बोलों ।।
वैसाखी पुनम रौ मेलो भरावे, आवे नर और नारी रे, कमलनाथ रा दर्शण करता, हीवडो हरसे रे, ओ शिव थारी जय बोलों, रे भाया जनम जनम रा, पाप धोयलो रे, ओ शिव थारी जय बोलों ।।
राम पुरी जी वटे ध्यान लगायो, चरणा में शिश नमावे रे, कमलनाथ री शोभा देखेन, भजन बणायो रे, ओ शिव थारी जय बोलों, रे भाया जनम जनम रा, पाप धोयलो रे, ओ शिव थारी जय बोलों ।।
सरस्वती माता शारदा ने सिमरु, गुणपत लागू पाय, शिव थारी जय बोलो, हारे शिव थारी जय बोलों, रे भाया जनम जनम रा, पाप धोयलो रे, ओ शिव थारी जय बोलों ।।