तर्ज – दिल के टुकड़े टुकड़े करके
सांवरे प्यारे दर पे तुम्हारे, तेरे दीवाने आ गए, प्रीत पुरानी दिल की कहानी, तुमको सुनाने आ गए, साँवरे प्यारे दर पे तुम्हारे, तेरे दीवाने आ गए।
जब से किया है दर्शन तुम्हारा, तब से दीवाना मन ये तुम्हारा, तब से ही दिल बेक़ाबू बड़ा, जब से सुने है तेरे तराने, तब से ही दिल दिल की ना माने, तब से ही सर पे जादू चढ़ा, दिल के स्वामी ओ दिल के मालिक, फिर दिल मिलने आ गए, साँवरे प्यारे दर पे तुम्हारे, तेरे दीवाने आ गए।
अब तेरे दर पे भीड़ है भारी, अब तो ये दुनिया उमड़े है सारी, अब हमारी क्या दरकार है, भूल गया तू दिन वो पुराने, रहते थे तेरे दर पे वीराने, क्या यही वो दरबार है, गौर से प्यारे देख ले तेरे, सेवक पुराने आ गए, साँवरे प्यारे दर पे तुम्हारे, तेरे दीवाने आ गए।
अब भी वही है रंगत हमारी, अब भी चढ़ी है तेरी खुमारी, अब भी हमारी हालत वही है, अब भी वही है आलम पुराना, अब भी वही ज़िद्द तुमको है पाना, अब भी हमारी चाहत वही है, ‘सोनू’ फिर से तुमको ही तुमसे, देखो चुराने आ गए, साँवरे प्यारे दर पे तुम्हारे, तेरे दीवाने आ गए।
सांवरे प्यारे दर पे तुम्हारे, तेरे दीवाने आ गए, प्रीत पुरानी दिल की कहानी, तुमको सुनाने आ गए, साँवरे प्यारे दर पे तुम्हारे, तेरे दीवाने आ गए।