तर्ज – काली कमली वाला मेरा
सालासर में ऐसा एक सरदार है, जिसके आगे झुकता ये संसार है, सच्ची सरकार है सच्चा दरबार है, सालासर में ऐसा एक सरदार हैं, जिसके आगे झुकता ये संसार है ।।
राम नाम की अमर कहानी, जपे निरंतर वो बलवानी, इनकी भक्ति का पाया ना पार है, जिसके आगे झुकता ये संसार है, सालासर में ऐसा एक सरदार हैं, जिसके आगे झुकता ये संसार है ।।
भूत पिशाच भी दर पे नाचे, घर घर इनका डंका बाजे, हनुमान का मन भावन दरबार है, जिसके आगे झुकता ये संसार है, सालासर में ऐसा एक सरदार हैं, जिसके आगे झुकता ये संसार है ।।
दो चुटकी सिंदूर जो लाये, बाला उनसे खुश हो जाये, बिना कहे ही भर देते भंडार है, जिसके आगे झुकता ये संसार है, सालासर में ऐसा एक सरदार हैं, जिसके आगे झुकता ये संसार है ।।
चैत्र सुदी पूनम का मेला, लगता है भक्तों का रेला, दूर दूर से आते नर और नार है, जिसके आगे झुकता ये संसार है, सालासर में ऐसा एक सरदार हैं, जिसके आगे झुकता ये संसार है ।।
कहता ‘शिवम’ इनको मनालो, मन चाहा वर इनसे पा लो, पल में करते भक्तो का उद्धार है, जिसके आगे झुकता ये संसार है, सालासर में ऐसा एक सरदार हैं,
सालासर में ऐसा एक सरदार है, जिसके आगे झुकता ये संसार है, सच्ची सरकार है सच्चा दरबार है, सालासर में ऐसा एक सरदार हैं, जिसके आगे झुकता ये संसार है ।।