तर्ज – छुप गए सारे नज़ारे
लांघे सात समंदर, ओये क्या बात हो गई, तूने लंका जलाई, करामात हो गई, आये बन के धुरंधर, ओये क्या बात हो गई, तूने लंका जलायी, करामात हो गई ।।
बाग़ उजाड़ा सारा नक्शा बिगाड़ा, लंका को बनाया अखाड़ा, देख रावण ये नज़ारा, हुआ गुस्से में लाल, स्वर्ण नगरी का मेरी, किया किसने ये हाल, आया कहाँ से ये बन्दर, ओये क्या बात हो गई, तूने लंका जलायी, करामात हो गई।।
दानव संहारे ‘हर्ष’ लंका को जीता, सीता को राम से मिलाए गयो रे, एक छोटो सो वानर, सोने की लंका जलाये गयो रे, एक छोटो सो वानर ।।
सोने की लंका जलाए गयो रे, एक छोटो सो वानर, छोटो सो वानर, एक छोटो सो वानर, रावण को पानी पिलाए गयो रे, एक छोटो सो वानर, सोने की लंका जलाये गयो रे, एक छोटो सो वानर ।।
मेघनाथ आया के बंदी बनाया,
दरबार में बजरंग लाया।
देख कैसा तुझे, दंड देते हैं हम, पूँछ इसकी जला दो, ये सुनाया हुकुम, उड़ गए पूँछ जली लेकर, ओये क्या बात हो गई, तूने लंका जलायी, करामात हो गई।।
लंका जलाई तबाही मचाई, बजरंग ने शक्ति दिखाई, भागे भयभीत होके, राक्षस इधर से उधर, रखते पैरों को ‘कुंदन’, थे बजरंग जिधर, छुप गए सारे अंदर, ओये क्या बात हो गई, तूने लंका जलायी, करामात हो गई ।।
लांघे सात समंदर, ओये क्या बात हो गई, तूने लंका जलाई, करामात हो गई, आये बन के धुरंधर, ओये क्या बात हो गई, तूने लंका जलायी, करामात हो गई ।।