मारो बेड़ो लगा दीजो पार, बजरंग बाला जी।
पांच पाना रो बिडलो बणायो,
भरी सभा फिरवाय उन बिड़ला ने कोई नहीं झेले, हनुमत लियो रे उठाय। बजरंग बाला जी । मारो बेड़ो लगा दीजो पार,बजरंग बाला जी ।
बिडलो उठायो मुख में दबायो, चरणा शीश नवाय। कर किलकारी कूद गयो सागर, पणगट छलांग लगाय। बजरंग बाला जी । मारो बेड़ो लगा दीजो पार, बजरंग बाला जी ।
पानी री पनिहारियाँ बोली, कोण जिनावर आय। जिण देश री सीता कहिजे, वठा रो वानर आय। बजरंग बाला जी । मारो बेड़ो लगा दीजो पार, बजरंग बाला जी ।
इतरी बात सुणी हनुमत ने नवल बाग़ में आय। जिण वृक्ष निचे सीता बैठी, ला मुंदडी चिटकाय।इतरी बात सुणी हनुमत ने, नवल बाग़ में आय। जिण वृक्ष निचे सीता बैठी, ला मुंदडी चिटकाय। बजरंग बाला जी । मारो बेड़ो लगा दीजो पार, बजरंग बाला जी ।
देख मुंदडी झुरबा लागी, कोन जिनावर आय। तुलसी दास आस रघुवर की, नैना नीर भर आय। बजरंग बाला जी । मारो बेड़ो लगा दीजो पार, बजरंग बाला जी ।
मारो बेड़ो लगा दीजो पार, बजरंग बाला जी।