तर्ज – रींगस के उस मोड़ पे
करूँ प्रार्थना सेठ सांवरा, दोनों हाथ मैं जोड़ के, हाथ फिरा दे सिर पे अपना, आऊं खाटू दौड़ के, हाथ फिरा दे सिर पे अपना, आऊं खाटू दौड़ के
आ गया रींगस तक बाबा, तेरी किरपा जब हो गई, लूले लंगड़े चलते देखे, आंख ये मेरी रो गई,
पेट पलनिया चलते देखे, आंखे मेरी रो गई, किस मुँह से तुझे कह दूं बाबा, आजा खाटू छोड़ के, हाथ फिरा दे सिर पे अपना, आऊं खाटू दौड़ के।
दुखिया और लाचारों की प्रभु, लगी तेरे दर भीड़ है, मैं नालायक समझ गया, मेरी कितनी छोटी पीड़ है, छुड़वा दे स्वार्थ से पीछा, मन को मेरे झिंझोड़ कर, हाथ फिरा दे सिर पे अपना, आऊं खाटू दौड़ के।।
नहीं चाहिए झूठी सोहरत, इज्जत की मुझे दे रोटी, खुशियों भरा मेरा आंगन हो, चाहे कोठी हो मेरी छोटी, कैसे बोलूं झूठ मैं आया, रिश्ते नाते तोड़ के, हाथ फिरा दे सिर पे अपना, आऊं खाटू दौड़ के।
कहता ‘रोमी’ मरते दम तक, सिर पे तेरा हाथ रहे, रोमी की किस्मत में बाबा, ग्यारस की हर रात रहे, सच का मैं गुणगान करूँ प्रभु, झूठ से नाता तोड़ के, हाथ फिरा दे सिर पे अपना, आऊं खाटू दौड़ के ।।
करूँ प्रार्थना सेठ सांवरा, दोनों हाथ मैं जोड़ के, हाथ फिरा दे सिर पे अपना, आऊं खाटू दौड़ के, हाथ फिरा दे सिर पे अपना, आऊं खाटू दौड़ के