तर्ज,मन डोले
रघुवीर चले छोटे वीर चले, चली जनक दुलारी साथ में, अब हुई गर्जना बादल की।
आगे आगे राम चलत है पीछे लक्ष्मण भाई। उनके पीछे चलत जानकी शोभा बरनी ना जाई। सखी री शोभा बरनी ना जाई। 🌺🌺🌺🌺🌺कांधे धनुष धरा, तनु भगवा पेरा।खड़ी रोव कौशल्या मात रे।अब हुई गर्जना बादल की।
रघुवीर चले छोटे वीर चले, चली जनक दुलारी साथ में, अब हुई गर्जना बादल की।
रिमझिम रिमझिम मेघा बरसे पवन चले पुरवाई। किसी पेड़ तले बैठे होंगे राम लखन दोनों भाई। सखी री राम लखन दोनों भाई।🌺🌺🌺🌺🌺 बादल गरजे बिजली चमके, मेरा थरथर कांपे गात रे।अब हुई गर्जना बादल की।
रघुवीर चले छोटे वीर चले, चली जनक दुलारी साथ में, अब हुई गर्जना बादल की।
राम बिना मेरी सूनी अयोध्या लखन बिना ठकुराइ।सीता बिन मेरी सुनी रसोई, कौन करे चतुराई।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 सखिरी कौन करे चतुराई। हिल्मिल रोव आपा खोवे, मेरे कैसे कटे दिन रात रे। अब हुई गर्जना बादल की।
रघुवीर चले छोटे वीर चले, चली जनक दुलारी साथ में, अब हुई गर्जना बादल की।
भीतर रोवे मात कौशल्या बाहर भरत सा भाई।सारी प्रजा ऐसे रोव हो गई अवध पराई, सखिरी हो गई अवध पराई।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺मेरा फटे हिया अब लगे ना जिया देवे कुसुम गुरु तेरा साथ रे।अब हुई गर्जना बादल की।
रघुवीर चले छोटे वीर चले, चली जनक दुलारी साथ में, अब हुई गर्जना बादल की।