तर्ज- जहाँ बनती है तकदीरें
मेरे संग सांवरा हरदम,
मुझे किस बात की चिंता, मेरे दर्दो का ये मरहम,
मेरे दर्दो का ये मरहम,मुझे किस बात की चिंता,
मेरे संग साँवरा हरदम,मुझे किस बात की चिंता।
मुझे गोदी में रखता है,जिसे अपना ले सांवरिया, उसे फिर कौन ठुकराए, मुझे गोदी में रखता है, मुझे किस बात की चिंता, मेरे संग साँवरा हरदम, मुझे किस बात की चिंता ।।
ना डर गिरने का है मुझको, ना ख्वाहिश है सँभलने की, डोर बाबा के हाथों में, डोर बाबा के हाथों में, मुझे किस बात की चिंता, मेरे संग साँवरा हरदम, मुझे किस बात की चिंता ।।
ये रिश्ता ख़ास है उनसे, नहीं इसमें मिलावट है, वो मालिक है मैं नौकर वो मालिक है मैं नौकर मुझे किस बात की चिंता, मेरे संग साँवरा हरदम, मुझे किस बात की चिंता ।।
मेरे कर्मों की ना पूछो, ‘रसिक’ जो हूँ रजा उनकी, दिया बाबा का खाता हूँ, दिया बाबा का खाता, मुझे किस बात की चिंता, मेरे संग साँवरा हरदम, मुझे किस बात की चिंता ।।
मेरे संग सांवरा हरदम,
मुझे किस बात की चिंता, मेरे दर्दो का ये मरहम,
मेरे दर्दो का ये मरहम,मुझे किस बात की चिंता,
मेरे संग साँवरा हरदम,मुझे किस बात की चिंता।