तर्ज – तुम अगर साथ देने का
तुम अगर मोहन मुरली बजाते रहो, गीत गाता रहूँ मैं तुम्हारे लिए, करके श्रृंगार तुम मेरे आगे रहो, गीत लिखता रहूँ मैं तुम्हारे लिए।।
सांवरे रंग पे तेरे दीवाना हुआ, श्याम सुंदर सलोने ये सारा जगत, सर पे तिरछे मुकुट की छटा है अज़ब, इसलिए तो दीवाना है सारा जगत, सामने आओ मोहन हमारे ज़रा, मोर पंखी सजा दूं तुम्हारे लिए।
माथे चंदन लगा कान कुंडल सजे, होठ लाली लगी श्याम सुंदर तेरे, हाथ मुरली सजी बाल घुघराले यूं, जैसे अम्बर पे बादल हो काले घिरे, आओ आसन पे अपने विराजो प्रभु, पुष्प माला सजा दूं तुम्हारे लिए।।
तेरी मुस्कान के हैं दीवाने बहुत, तेरे चितवन से घायल हुए हैं कई, सारे मदहोश है तेरे श्रृंगार पर, आजा आजा कन्हैया बहुत देर हुई, दर्श देदो ज़रा मुरली वाले हमें, दर पे ‘राजेंद्र’ आया तुम्हारे लिए ।।
तुम अगर मोहन मुरली बजाते रहो, गीत गाता रहूँ मैं तुम्हारे लिए, करके श्रृंगार तुम मेरे आगे रहो, गीत लिखता रहूँ मैं तुम्हारे लिए ।।