तर्ज – तुझे भूलना तो चाहा
तुमको कसम हमारी, तुमको मेरी दुहाई, रखना तुम्हारी कैद में, रखना तुम्हारी कैद में, देना नहीं रिहाई, तुमकों कसम हमारी, तुमको मेरी दुहाई।।।
तेरे मंड के सामने हो, प्रभु मेरा कारावास, आठों पहर निहारूं, रहना तू मेरे पास, जब भी मैं पलकें खोलूं, जब भी मैं पलकें खोलूं, देना तू ही दिखाई, तुमकों कसम हमारी, तुमको मेरी दुहाई।।
मेरे दोनों हाथ में बस, ऐसी हथकड़ी हो, मुझपे नज़र हो तेरी, जब भी नज़र पड़ी हो, मेरी सजा की बाबा, मेरी सजा की बाबा, होवे नहीं सुनाई, तुमकों कसम हमारी, तुमको मेरी दुहाई।।
तेरी ही हो अदालत, तू ही करे वकालत, बस ये ही मांगती हूँ, समझो ना दिल की हालत, ‘श्याम’ को देना उम्र कैद, ‘श्याम’ को देना उम्र कैद, अर्जी यही लगाई, तुमकों कसम हमारी, तुमको मेरी दुहाई।।
तुमको कसम हमारी, तुमको मेरी दुहाई, रखना तुम्हारी कैद में, रखना तुम्हारी कैद में, देना नहीं रिहाई, तुमकों कसम हमारी, तुमको मेरी दुहाई।।