लाली लाली लाल चुनरिया कैसे न माँ को भाई…..2
ये लाल चुनरिया नारी के तीनो ही रूप सजाये
लाली लाली लाल चुनरिया कैसे न माँ को भाई…..
पावन होती है नारी की बाल अवस्था
इशी लिए कंन्या की हम करते है पूजा
ये पूजा फल देती है शुखों को पल देती है……
हो सर पे देके लाल चुनार कंजक को पूजा जाये
लाली लाली लाल चुनरिया कैसे न माँ को भाई
ये लाल चुनरिया नारी के तीनो ही रूप सजाये
लाली लाली लाल चुनरिया कैसे न माँ को भाई…..
दूजे रूप में आक़े ये नारी बने शुहागण
प्यार ही प्यार बना दे ये अपना घर आँगन
मिले जो प्यार में भक्ति तो मन पाजाये सकती…..
हो लाल चुनरिया योद्धा शुहागण रूपमती कहलाये
लाली लाली लाल चुनरिया कैसे न माँ को भाई…..
ये लाल चुनरिया नारी के तीनो ही रूप सजाये
लाली लाली लाल चुनरिया कैसे न माँ को भाई…..