तर्ज़ – सौ साल पहले
लहराये देखो कैसे,लाखों निशान हैं, लाखों निशान हैं, श्याम के जयकारो से, गूंजे जहान है।
खाटू के मेले की, महिमा तीन लोक गायें, वो खुशियां लुटा रहा, लूटने भक्त सभी आये, मस्ती में हर इक बूढ़ा, बच्चा जवान है, श्याम के जयकारों से, गूंजे जहान है ।।
लूटन भक्त सभा आय, मस्ती में हर इक बूढ़ा, बच्चा जवान है, श्याम के जयकारों से, गूंजे जहान है ।।
होली सब खेलन को, सांवरा के संग आये हैं, बाबा को हर प्रेमी, प्रेम से रंग लगाये है, झूमें सभी फिर ऐसी, चंग की तान हैं, श्याम के जयकारों से, गूंजे जहान है।
सांवरिया श्याम मेरा, सेठ सेठो का कहलायें, पूरी अरदास करे, हर इक दामन भर जाये, ‘राघव’ पुकारे जो भी, देता ये ध्यान है, श्याम के जयकारों से, गूंजे जहान है ।।
लहराये देखो कैसे,लाखों निशान हैं,
लाखों निशान हैं,श्याम के जयकारो से, गूंजे जहान है।