जाने क्यों लगता है मुझको पत्थर में है राम। पत्थर को ही पूज रहा मैं सुबह और शाम। राम सिया राम सिया राम जय जय राम।राम सिया राम सिया राम जय जय राम।
अब तो यूं लगता है,ये नाम है मेरा साथी।राम नाम जपते ही दिल में जागृत होती ज्योति।उनकी मूरत सीने में समा रखी मैने।🌺🌺🌺क्या है वो पत्थर मुझको वो क्यों मिला।राम सिया राम सिया राम जय जय राम।राम सिया राम सिया राम जय जय राम।
जाने क्यों लगता है मुझको पत्थर में है राम। पत्थर को ही पूज रहा मैं सुबह और शाम। राम सिया राम सिया राम जय जय राम।राम सिया राम सिया राम जय जय राम।
अब तो मन लगता है इस छोटे से पत्थर में।मन को ऐसा लगता जैसे राम है वहां खड़े।उनके दर्शन ढूंढ रहे पत्थर की मूरत में।🌺🌺🌺🌺🌺मन से एकबर देख लो राम ही वहां मिले।राम सिया राम सिया राम जय जय राम।राम सिया राम सिया राम जय जय राम।
जाने क्यों लगता है मुझको पत्थर में है राम। पत्थर को ही पूज रहा मैं सुबह और शाम। राम सिया राम सिया राम जय जय राम।राम सिया राम सिया राम जय जय राम।