रसिया रोज मेरे घर आवे, बहाना करके होरी को, करके होरी को सखी री करके होरी को ….रसिया रोज मेरे घर आवे, बहाना करके होरी को,
आधी रात को आन सखी ये तो ग्वाल बाल के संग, माखन मेरा खाये गयो सारा मैं तो रह गयी दंग। हां रसिया रोज मेरे घर आव,बहाना करके होरी को,
फागन में मेरे घर में आए गयो मोको कर दियो तंग, चुपके से आकर बांह मरोड़ी मुंह पे मल दियो रंग, हां रसिया रोज मेरे घर आवे,बहाना करके होरी को,
बरसाने होरी खेलन आयो ग्वाल बाल के संग, लठ मार के इन्हें भगायो उतर गयो सब भांग हां रसिया रोज मेरे घर आवे,बहाना करके होरी को,
रसिया रोज मेरे घर आवे, बहाना करके होरी को, करके होरी को सखी री करके होरी को ….रसिया रोज मेरे घर आवे, बहाना करके होरी को,