थोड़ा देती है, या ज्यादा देती है, हमको तो जो कुछ भी देती, दादी देती है, हमको तो जो कुछ भी देती, मैया देती है।
हमारे पास जो कुछ है, इसी की है मेहरबानी, हमेशा भेजती रहती, कभी दाना कभी पानी, सुख कर देती है, और दुःख हर लेती है, हमको तो जो कुछ भी देती, दादी देती है।
हमेशा भूठ है, कभी भूखे नहीं सोते, भला तकलीफ कैसे हो, हमारी मैया के होते, सुख कर देती है, और दुःख हर लेती है, हमको तो जो कुछ भी देती, दादी देती है।
दिया जो दादी ने हमको, कभी कर्जा नहीं समझा, दयालु मैया ने हमको, हमेशा अपना ही समझा, सुख कर देती है, और दुःख हर लेती है, हमको तो जो कुछ भी देती, दादी देती है।
हमने ‘बनवारी’ माँ से, बड़े अधिकार से मांगा, दिया है खुश होकर माँ ने, जब भी सरकार से मांगा, सुख कर देती है, और दुःख हर लेती है, हमको तो जो कुछ भी देती, दादी देती है।
थोड़ा देती है, या ज्यादा देती है,
हमको तो जो कुछ भी देती, दादी देती है, हमको तो जो कुछ भी देती, मैया देती है।